What Does Shodashi Mean?
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?
Shodashi’s mantra enhances devotion and faith, helping devotees build a deeper connection to the divine. This gain instills have confidence in within the divine process, guiding people through issues with grace, resilience, and a way of goal in their spiritual journey.
Saadi mantras tend to be more available, useful for basic worship also to invoke the presence on the deity in everyday life.
The devotion to Goddess Shodashi is often a harmonious blend of the pursuit of beauty and the quest for enlightenment.
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
The Shodashi Mantra instills persistence and resilience, helping devotees continue being regular through troubles. This advantage enables persons to approach obstructions with calmness and determination, fostering an interior strength that supports personalized and spiritual growth.
Should the Shodashi Mantra is chanted with a clear conscience as well as a identified intention, it might make any wish come correct for yourself.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, here वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।
अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।
वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।